Monday, 31 May 2010

जाड़े के मौसम में

जाड़े के मौसम में चुनमुन के मज़े हैं,

सूट-बूट-मफलर कनटोप में सजे हैं।

गर्म-गर्म पानी से सुबह ही नहाए,

बातें मिश्री घोलें सबके मन भाएँ।

धूप में ताज़े गुलाब सा वह खिल जाए,

खुश होकर खेले जो शेरा मिल जाए।

लेकर बस्ता चले सात ही बजे हैं।

चुनमुन के मज़ें हैं कनटोप में सजे हैं।

पढ़-लिखकर एक बजे चुनमुन घर आए

फौज़ ले खिलौनों की छत पर जम जाए।

तिल सी हो बात उसे ताड़-सी बढ़ाये,

जितना कुछ आये, लूसी को पढ़ाये।

रेशमी रजाई में चाँद भी लजे है,

चुनमुन के मज़ें बैं कनटोप में सजे हैं।

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