Saturday, 15 May 2010

मुन्ना की किताब

रामजी मिश्र--


रंग-बिरंगे चित्रोंवाली में पुस्तक हूँ, विश्वकोश के महाकाव्य की पुस्तक हूँ।

मुझको मुन्ना बड़े ध्यान से पढ़ता रहता, तरह-तरह की बातें मन में गढ़ता रहता।

देश-विदेश, आज कल की बीती बातें, बतलाती हूँ, समझाती हूँ, सीधी बातें।

जंगल के पशु -पक्षी सारे, बहती नदियाँ, बंदर-भालू, शेर लोमड़ी की कहानियाँ।

सुना-सुनाकर उसाक मन सें बहलाती हूँ, रत्न देश के बनते कैसे, बतलाती हूँ।

देशभक्ति के, अतुल शक्ति के गाने सच्चे, गाकर जिनको भरत सरीखे बनते बच्चे।

जीवन के मुश्किल सवाल का जवाब मैं हूँ, गागर में सागर भर देती, मैं किताब हूँ।

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