पूर्ण मनोरथ हुये कि छुट्टी के दिन आये,
खत्म कठिन दिन हुये, कि छुट्टी के दिन आये।
चुप रहना अब खले, शोरगुल ही हो भले,
सब मनमाना चले, कि छुट्टी के दिन आये।
बहती हे लू बहे, दुपहरी कुछ भी कहे,
मन खुश-खुश सब सहे, कि छुट्टी के दिन आये।
बिछड़े साथी मिले, जुड़े सब सिलसिले,
मन फूलों सा खिले, कि छुट्टी के दिन आये।
सब कुछ अपना लगे, सपनों में मन पगे,
सदा रहें हम जगे, कि छुट्टी के दिन आये।
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