Tuesday, 18 May 2010

टिकट

बोली सुन बिल्ले की लंबी-चौड़ी बातें।

'नकल करायी इम्तहान में वरना डुबकी खाते।

करती नहीं सिफारिश तो क्या कभी नौकरी पाते?

धूल फाँकते, एड़ी घिसते, क्वाँरे ही रह जाते।'

'खूब किया उपकार हमारा, नचा-नचाकर मारा।

माँग तुम्हारी पूरी करते, भाग-दौड़ से हारा।'

बिल्ले की सुन बोली बिल्ली 'हँसी दिल्लगी छोड़ो।

टिकट सिनेमा के ले आओ, टाइम कम है दौड़ो।

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