बोली सुन बिल्ले की लंबी-चौड़ी बातें।
'नकल करायी इम्तहान में वरना डुबकी खाते।
करती नहीं सिफारिश तो क्या कभी नौकरी पाते?
धूल फाँकते, एड़ी घिसते, क्वाँरे ही रह जाते।'
'खूब किया उपकार हमारा, नचा-नचाकर मारा।
माँग तुम्हारी पूरी करते, भाग-दौड़ से हारा।'
बिल्ले की सुन बोली बिल्ली 'हँसी दिल्लगी छोड़ो।
टिकट सिनेमा के ले आओ, टाइम कम है दौड़ो।
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