रामजी मिश्र
तिनका-तिनका लाती चिड़िया, उन्हें सजाकर रखती है।
बड़े जतन से बना घोंसला, उसमें सुख से रहती है।
आसमान में उड़ती-फिरती मीठे गाने गाती है।
बच्चों का पालन करती दाना चुग्गा लाती है।
जो दुख होता सह लेती है, मेहनत कर सुख पाती है।
कभी न दुखड़ा रोती अपना, कभी न आँसू लाती है।
सूरज ढलते ही बच्चों को, अपने साथ सुलाती हे।
कोरी बात न करती चिड़िया, भाषण नहीं पिलाती है।
दूर-दूर तक उड़ते कैसे खुद उड़कर दिखलाती है।
जैसा करती चिड़िया रानी वैसे ही करते बच्चे।
सच्ची गुरु की नकल सीखते, फिर व भी बनते सच्चे।
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