हाथी से मित्रता हमारी, चींटी से भी यारी।
छोटा-बड़ा नहीं है कोई, यह दुनिया है न्यारी।
परियाँ सपने लेकर आतीं, हमको दे जाती हैं।
परी लोक की सैर कराने, हमको ले जाती हैं।
तितली नाच सिखाती हमको, नहीं पकड़ में आती।
जुगनु दिप-दिप दीप दिखाते, बिना तेल औ बाती।
मेंढक पाठ पढ़ाते मन से खूब चहकना चिड़ियाँ।
हरदम हँसते रहो यही तो कहती है फुलझड़ियाँ।
दीन गाता है रोज़ प्रभाती, लोरी गातीं रातें।
पुरवा हवा साथ चलती है करती मीठी बातें।
आँख, कान, मुँह मूँदे हरदम, बापू के बंदर हैं।
बाहर जैसे भोले-भाले वैसे ही अंदर हैं।
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