चुनमुन सुने रेडियो बाजा, दीदी कहती चुनमुन आजा।
चुनमुन दौड़ा आए हाली, खुश होकर वह पीटे ताली,
जाने क्या वह समझे-बूझे, कहे किलक कर, बाजा-बाजा,
चुनमुन सुने रेडियो बाजा।
कभी मगन मन गाना गाए, छम-छम छम-छम नाच दिखाए,
करता पूरा ड्रामा चुनमुन, लेकर गुड़िया-गुड्डा राजा,
चुनमुन सुने रेडियो बाजा।
नानूकी नानी की नौकास खोजे रेल-खेल का मौका,
जादू आवाज़ों का ऐसा, उसे लगे सब ताजा़-ताज़ा
चुनमुन सुने रेडियो बाजा।
कभी सपेरा कभी मदारी, कभी कर चिड़ियों से यारी,
कठपुतली-गुब्बारेवाले, चुनमुन के मन भाए, आ जा,
चुनमुन सुने रेडियो बाजा।
No comments:
Post a Comment