मम्मी, देखो ये जल परियाँ, दूध धुली पहने घाँघरियाँ।
नाच रही हें झम्मक-झैंयाँ, धुनी रुई पर पैयाँ-पैयाँ।
हरी-भरी पर्वत-मालाएँ, इन्हें घेर हँसतीं बालाएँ।
टीले बड़े हठीले फैले, ऊँचे-नीचे ये मटमैले।
इनपर फिसल दौड़ती कल-कल,
छिछली धारा छल-छल, छल-छल।
मोती के पानी-सा मन है. नीले नभृ सा इनका तन है।
हँसी बिखेरें हीरे-जैसी, भरी उमंगें कैसी-कैसी।
साहस की साकार पुतलियाँ, मम्मी, देखो जल-परियाँ।
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