लाल-लाल कलँगी फहराओ, आओ कुकड़ुकूँ जी आओ।
यहाँ मुंडेरे पर आ बैठो, आलस-सुस्ती दूर भगाओ,
सूरज दादा कहाँ छिपे हैं, एक करारी बाँग लगाओ।
इन्हें जगाओ, उन्हें जगाओ, आओ कुकड़ुकूँ जी आओ।
बाँग तुम्हारी सुनकर देखो, आसमान ने पलकें खोलीं,
हवा चल पड़ी खुशबू वाली, डाल-डाल पर चिड़ियाँ बोलीं।
सूरज की किरणें चमकाओ, आओ कुकड़ुकूँ जी आओ।
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